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रबी सीजन 2022

कैसे करें सूरजमुखी की खेती? जानें सबसे आसान तरीका

कैसे करें सूरजमुखी की खेती? जानें सबसे आसान तरीका

रबी का सीजन शुरू हो चुका है, सीजन के शुरू होने के साथ ही रबी की फसलों की बुवाई भी बड़ी मात्रा में शुरू हो चुकी है। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूरजमुखी या सूर्यमुखी (Sunflower) की खेती की सम्पूर्ण जानकारी ताकि किसान भाई इस बार रबी के सीजन में सूरजमुखी की खेती करके ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकें। अभी भारत में मांग के हिसाब से सूरजमुखी का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए भारत सरकार को घरेलू आपूर्ति के लिए विदेशों से सूरजमुखी आयत करना पड़ता है, ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। भारत में इसकी खेती सबसे पहले साल साल 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी, जिसके बाद अच्छे परिणाम प्राप्त होने पर देश भर में इसकी खेती की जाने लगी। फिलहाल महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, आंधप्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा और पंजाब के किसान सूरजमुखी की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में हर साल लगभग 15 लाख हेक्टेयर पर सूरजमुखी की खेती की जाती है, साथ ही देश के किसान इसकी खेती से 90 लाख टन की पैदावार लेते हैं। अगर सूरजमुखी की खेती में औसत पैदावार की बात करें तो 1 हेक्टेयर में 7 क्विंटल सूरजमुखी के बीजों का उत्पादन होता है। सूरजमुखी एक तिलहनी फसल है, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसकी खेती सर्दी के सीजन में की जाए तो अच्छी पैदावार निकाली जा सकती है।


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सूरजमुखी की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करें

खेत तैयार करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करवा लें, यदि खेत की मिट्टी ज्यादा अम्लीय या ज्यादा क्षारीय है तो उस जमीन में सूरजमुखी की खेती करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही विशेषज्ञों से उर्वरक के इस्तेमाल की सलाह जरूर लें ताकि जरुरत के हिसाब से खेत की मिट्टी में पर्याप्त उर्वरक इस्तेमाल किये जा सकें। खेत तैयार करते समय ध्यान रखें कि खेत से पानी की निकासी का सम्पूर्ण प्रबंध होना चाहिए। इसके बाद गहरी जुताई करें और खेत को समतल करके बुवाई के लिए तैयार कर लें।

सूरजमुखी की खेती के लिए बाजार में उपलब्ध उन्नत किस्में

ऐसे तो बाजार में सूरजमुखी के बीजों की कई किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन अधिक और अच्छी क्वालिटी की पैदावार के लिये किसान कंपोजिट और हाइब्रिड किस्मों का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रकार की उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करने पर सूरजमुखी की खेती 90 से 100 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है, और उसके बीजों में तेल का प्रतिशत भी 40 से 50 फीसदी के बीच होता है। अगर बेस्ट किस्मों की बात करें तो किसान भाई सूरजमुखी की बीएसएस-1, केबीएसएस-1, ज्वालामुखी, एमएसएफएच-19 और सूर्या किस्मों का चयन कर सकते हैं।


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सूरजमुखी की बुवाई कैसे करें

सूरजमुखी की बुवाई रबी सीजन की शुरुआत में की जाती है। अगर माह की बात करें तो अक्टूबर का तीसरा और चौथा सप्ताह इसके लिए बेहतर माना गया है। इसकी बुवाई से पहले बीजों का उपचार कर लें ताकि बुवाई के समय किसानों के पास बेस्ट किस्म के बीज उपलब्ध हों। सूरजमुखी के बीजों की बुवाई छिड़काव और कतार विधि दोनों से की जा सकती है। लेकिन भारत में कतार विधि, छिड़काव विधि की अपेक्षा बेहतर मानी गई है। कतार विधि का प्रयोग करने से खेती के प्रबंधन में आसानी रहती है। इसके लिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लाइनों के बीच 4-5 सेमी और बीजों के बीच 25-30 सेमी का फासला रखना चाहिए।

सूरजमुखी की खेती में खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल कैसे करें

जैविक खाद एवं उर्वरक किसी भी खेती के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। इसलिए सूरजमुखी की खेती में भी इन चीजों का उपयोग आवश्यकतानुसार किया जाता है। सूरजमुखी के बीजों का क्वालिटी प्रोडक्शन प्राप्त करने के लिए 6 से 8 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें। इसके साथ विशेषज्ञ 130 से 160 किग्रा यूरिया, 375 किग्रा एसएसपी और 66 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।


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सूरजमुखी की खेती में सिंचाई किस प्रकार से करें

सुरजमुखी की खेती में सामान्य सिंचाई की दरकार होती है। इसकी खेती में 3 से 4 सिंचाईयां पर्याप्त होती हैं। इस खेती में यह सुनिश्चित करना बेहद अनिवार्य है कि खेत में नमी बनी रहे, ताकि पौधे बेहचर ढंग से पनप पाएं। सूरजमुखी की फसल में पहली सिंचाई 30-35 दिन के अंतराल में करनी होती है। इसके बाद हर तीसरे सप्ताह इस फसल में पानी देते रहें। इस फसल में फूल आने के बाद भी हल्की सिंचाई की दरकार होती है। यह एक फूल वाली खेती है इसलिए इसमें कीटों का हमला होना सामान्य बात है। इस फसल में एफिड्स, जैसिड्स, हरी सुंडी व हेड बोरर जैसे कीट तुरंत हमला बोलते हैं। जिससे सूरजमुखी के पौधों को रतुआ, डाउनी मिल्ड्यू, हेड राट, राइजोपस हेड राट जैसे रोग घेर लेते हैं। इसके अलावा इस खेती में पक्षियों का हमला भी आम बात है। फूलों में बीज आने के बाद पक्षी भी बीज चुन लेते हैं, ऐसे में किसानों को विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए ताकि वो इन परेशानियों से निपट पाएं। बुवाई के लगभग 100 दिनों बाद सूरजमुखी की खेती पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसके फूल बड़े होकर पूरी तरह से पीले हो जाते है। फूलों की पंखुड़ियां झड़ने के बाद किसान इस खेती की कटाई कर सकते हैं। कटाई करने के बाद इन फूलों को 4 से 5 दिन तक तेज धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद मशीन की सहायता से या पीट-पीटकर फूलों के बीजों को अलग कर लिया जाता हैं। अगर पैदावार की बात करें तो अच्छी परिस्थियों में किसान भाई उन्नत किस्मों और आधुनिक खेती के साथ एक हेक्टेयर में 18 क्विंटल तक सूरजमुखी के बीजों की पैदावार ले सकते हैं। सामान्य परिस्थियों में यह पैदावार 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।


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हाल ही में भारत सरकार ने सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी कर दी है। इस लिहाज से अब सूरजमुखी की खेती करके किसान भाई पहले की अपेक्षा ज्यादा कमाई कर सकते हैं। सरकार ने रबी सीजन के लिए सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 209 रूपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। इस हिसाब से अब किसान भाइयों के लिए सूरजमुखी के बीजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
छत्तीसगढ़ में किसान कर रहे हैं सूरजमुखी की खेती, आय में होगी बढ़ोत्तरी

छत्तीसगढ़ में किसान कर रहे हैं सूरजमुखी की खेती, आय में होगी बढ़ोत्तरी

छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख धान उत्पादक राज्य है। जहां धान की खेती सर्वाधिक होती है, इसलिए इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। यहां के ज्यादातर किसान अपने खेतों में धान का उत्पादन करते हैं और उसी से उनकी आजीविका चलती है। लेकिन पिछले कुछ समय से देखा गया है कि राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के लिए कई जनहितकारी योजनाएं लेकर आ रही है। जिससे किसानों को फायदा हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा लाई जा रही जनहितकारी योजनाओं के कारण अब किसान धान की खेती के अलावा अन्य खेती की तरफ भी रुख कर रहे हैं। जिससे किसानों को भविष्य में फायदा होने वाला है। क्योंकि अन्य फसलों के उत्पादन में धान की अपेक्षा किसानों को ज्यादा मुनाफ़ा मिल सकता है। छत्तीसगढ़ शासन ने घोषणा की है कि धान के अलावा अन्य फसलों को उगाने पर सरकार किसानों को सीधे सब्सिडी प्रदान करेगी। सरकार के प्रोत्साहन से प्रभावित होकर प्रदेश के कई किसानों ने अपने यहां सूरजमुखी की खेती प्रारंभ कर दी है। रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के ग्राम बोन्दा के किसान तेजराम गुप्ता ने बताया है कि उन्होंने अपने खेतों में अब धान की जगह पर सूरजमुखी की खेती करना प्रारंभ कर दी है। इसमें उन्हें ज्यादा लाभ हो रहा है। किसान तेजराम गुप्ता ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें यह खेती करने के लिए प्रोसाहित किया है। अधिकारियों ने सूरजमुखी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई है। साथ ही बीज, सूक्ष्म पोषक तत्व एवं कीटनाशक भी उपलब्ध करवाए हैं। इसके लिए किसी भी तरह के पैसे नहीं लिए गए हैं। यह सहायता पूरी तरह से मुफ़्त उपलब्ध करवाई गई है। इसके अलावा उन्होंने 5 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट स्वयं से खरीदकर खेत में डाला है। किसान तेजराम गुप्ता ने बताया है कि उन्होंने सूरजमुखी की खेती के लिए कड़ी मेहनत की है। इसके लिए खेत तैयार करने के लिए 3 बार गहरी जुताई की है और दो बार रोटवेटर से खेत तैयार किया है। इसके बाद वर्मी कम्पोस्ट को खेत में मिलाकर बुवाई की है। बुवाई के 20 दिन बाद निराई गुड़ाई का काम किया है और सिंचाई की है। कीटों के नियंत्रण के लिए फसल पर क्लोरोपाईरीफास एवं एजाडिरेक्टिन 1500 पी.पी.एम.का छिडक़ाव किया है। अब फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। फसल को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार सूरजमुखी की खेती से अच्छा खासा लाभ होने वाला है।

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किसान तेजराम गुप्ता ने बताया है कि सूरजमुखी की फसल उगाने से उनकी आय में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके साथ ही फसल चक्र होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हुई है। अब राज्य के अन्य किसान भी खेती में वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करने लगे हैं जिससे उत्पादन में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है और लोगों की आय भी बढ़ी है। इन दिनों भारत में तिलहन की काफी कमी चल रही है, जिसके चलते तिलहन की जबरदस्त मांग बनी हुई है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर सूरजमुखी विदेशों से आयात करता है ऐसे में भारत के किसान सूरजमुखी का उत्पादन करके घरेलू मांग की आपूर्ति आसानी से कर सकते हैं।